दिनेश प्रताप सिंह चौहान

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मिलें ग़म भले ,……..मुस्कराते रहेंगे,
न आँसू ग़मों में ,………बहाते रहेंगे।

न दुख में कभी,…..लड़खड़ाते रहेंगे,
मिले दर्द पर ,……..गुनगुनाते रहेंगे।

भले ,……….ठोकरें खूब खाते रहेंगे,
मग़र स्वप्न नव,….हम सजाते रहेंगे।

भले होंगे असफल,कई बार लेकिन,
जुगत हर नई,….. हम लगाते रहेंगे।

नहीं हार मानेंगे ,..इस वक़्त से हम,
मुक़द्दर सदा,……..आजमाते रहेंगे।

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