एक फटेहाल राजा और उसका जादुई रहस्य

 बहुत समय पहले की बात है, एक दूर देश में एक प्यारे और बुद्धिमान राजा रहते थे। उनकी दाढ़ी चाँदी जैसी सफेद थी और उनकी आँखों में ढेर सारा प्यार झलकता था। राजा अब बूढ़े हो गए थे और चाहते थे कि कोई नया, जवान और सच्चा दिल वाला व्यक्ति उनके राज्य की देखभाल करे। पर उनके पास कोई बेटा नहीं था, बस एक सुंदर राजकुमारी थी जिसकी शादी भी करनी थी।

राजा ने एक बड़ा ही अनोखा ऐलान करवाया। उन्होंने ढोल बजवाए और राज्य भर में यह खबर फैलवा दी: "कल सुबह जो भी व्यक्ति हमारे नगर में सबसे पहले कदम रखेगा, वही हमारा अगला राजा होगा, और मेरी बेटी, राजकुमारी चमेली, का विवाह भी उसी के साथ होगा!"

अगले दिन सुबह-सुबह, सूरज की पहली किरणें पहाड़ों से झाँक रही थीं। द्वारपालों ने देखा कि एक दुबला-पतला, फटेहाल कपड़ों वाला लड़का, जिसके बालों में धूल जमी थी, धीरे-धीरे शहर की ओर आ रहा था। सैनिक उसे पकड़कर राजा के पास ले आए। राजा ने मुस्कुराते हुए उस लड़के को गले लगाया और खुशी-खुशी उसका राज्याभिषेक कर दिया। फिर, राजकुमारी चमेली के साथ उसका विवाह भी हो गया।

नया राजा बहुत खुश था, पर वह भूला नहीं था कि वह कहाँ से आया था। उसने बड़े ही प्यार और लगन से राज्य का काम संभाला। वह प्रजा की भलाई के लिए दिन-रात मेहनत करता था, और सब उसे बहुत पसंद करते थे।

पर महल में एक छोटी सी, पुरानी कोठरी थी, जिसका रहस्य किसी को नहीं पता था। राजा हमेशा उस कोठरी की एक छोटी सी चाबी अपनी कमर में लटकाए रखता था। हफ्ते में एक बार, वह चुपके से उस कोठरी में जाता, आधे घंटे तक अंदर रहता, और फिर मुस्कुराता हुआ बाहर आता और बड़े प्यार से ताला लगा देता।

सेनापति, जो राजा के बहुत करीब था, बड़ा हैरान था। वह सोचता, "राजमहल का सारा खजाना तो खजांची के पास है। सेना के हथियारों की चाबी मेरे पास है। फिर इस छोटी सी कोठरी में ऐसा क्या है जो राजा को इतना प्यारा है?"

एक दिन सेनापति ने हिम्मत करके राजा से पूछ ही लिया, "महाराज, माफ़ कीजिएगा, पर इस छोटी सी कोठरी में ऐसा क्या है, जो आप इसे इतना संभालकर रखते हैं?"

राजा को पहले तो गुस्सा आया। उन्होंने कड़ककर कहा, "सेनापति! यह तुम्हारा पूछने का विषय नहीं है! दोबारा यह सवाल मत करना!"

अब तो सेनापति का शक और भी बढ़ गया। धीरे-धीरे मंत्रियों और सभासदों ने भी राजा से जानने की कोशिश की, पर राजा ने किसी को कुछ नहीं बताया। आखिर में, बात महारानी चमेली तक पहुँची। रानी ने जब देखा कि राजा कोई बात नहीं बता रहे, तो उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया और कोठरी का रहस्य जानने की ज़िद करने लगीं।

राजा ने देखा कि उनकी प्यारी रानी कितनी दुखी हैं। वह जानते थे कि अब रहस्य बताना ही होगा। उन्होंने एक दिन सेनापति, मंत्रियों और रानी को अपने साथ लिया और उस पुरानी कोठरी के पास गए। राजा ने धीरे से चाबी घुमाई और दरवाजा खोला।

कमरा खुलते ही सबने देखा – अंदर कुछ भी नहीं था! सिवाय एक पुराने, फटे हुए कपड़े के, जो दीवार पर एक छोटी सी खुंटी पर टंगा था। सब हैरान रह गए।

मंत्री ने पूछा, "महाराज, यहाँ तो कुछ भी नहीं है!"

राजा ने उस फटे हुए कपड़े को अपने हाथ में उठाया, उनकी आँखों में हल्की सी नमी आ गई। उन्होंने शांत और उदास आवाज़ में कहा, "यही तो है मेरा सब कुछ, मेरे प्यारे लोगों। जब भी कभी मुझे थोड़ा सा भी घमंड आता है, मुझे लगने लगता है कि मैं कितना महान राजा हूँ, तो मैं यहाँ आकर इन कपड़ों को देख लेता हूँ।"

राजा ने एक गहरी साँस ली और आगे बोले, "यह वही कपड़े हैं जिन्हें पहनकर मैं इस नगर में पहली बार आया था। मुझे याद आ जाता है कि उस दिन इन फटे कपड़ों के अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं था। मैं एक गरीब, बेघर लड़का था। यह याद आते ही मेरा मन शांत हो जाता है और मेरा सारा घमंड मिट्टी में मिल जाता है। तब मैं वापस बाहर आ जाता हूँ और अपनी प्रजा की सेवा में फिर से लग जाता हूँ।"

सब लोग राजा की बुद्धिमत्ता और विनम्रता देखकर चकित रह गए। उस दिन से, राजा को और भी अधिक सम्मान मिलने लगा, क्योंकि उन्होंने सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि अपने घमंड को भी जीत लिया था। और हर बार जब राजा उस कोठरी में जाते, तो वह एक बेहतर और विनम्र इंसान बनकर बाहर आते, अपने राज्य को और भी अच्छे से चलाने के लिए।

सीख: घमंड को अपने पास कभी मत आने दो। अपनी जड़ों को याद रखो और हमेशा विनम्र रहो!

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