जयपुर जयपुर जयपुर
कैंडेक्टर की आवाज़ सुन कर आँख खुली, तो सुबह की पहली किरण जैसे मुझे आवाज़ दे रही थी. मन खुशी से झूम रहा था पहली बार गाँव के बाहर निकलने का मौका मिला वो भी जयपुर जैसे बड़े शहर में, रास्ते के सफर में रात कब निकल गयी पता ही नहीं चला, बस से उतर कर देखा तो सामने मैट्रो station, और मेरे लिए पहली बार मैट्रो मे बैठना बिल्कुल वैसा ही था जैसे जिंदगी भर बैल गाड़ी पर बैठने वाले को हवाई जहाज में बिठा दिया हो, मैट्रो से सफर करने की खुशी थी ही की बादलों की ओट्ट मे से सूरज की रोशनी में से चमकता हुआ चेहरा दिखा, उस चेहरे पर अचनक नज्जर क्या गयी की वही टिक गयी,, चाह कर भी हटा ना सका, देखा जो उसे देखता रह गया, और जी भर के देख भी ना पाया था कि उनका सटेशन आ गया, और वो उतर गये और मै बस उन्हें युं जाते देख कर जैसे ठगा के ठगा रह गया. जयपुर की इतनी खूबसूरत सुबह की उम्मीद ही नहीं थी,, पर तेरा शुक्रिया भगवान् बस अपने मन को समझाया और चल दिया अपने मन्जिल की और,, कुछ दिन चाचा जी के यहाँ रह लिया पर फिर अपना रूम सेट किया आर्मी की तैयारी जो करनी है कोचिंग और फिजिकल दोनों की वेसे तो नोकरी करने की जरूरत नहीं है हमें, बाबा के पास इतने खेत घर बैल गाय भैस इतना सब तो है की आराम से गाँव मे जीवन गुज्जर जाएं पर फिर भी वर्दी पहन ने और देश सेवा का अवसर मिल जाएं तो जीवन सफ्फल हो जाए, इसी सपनो को आँखों में बसाये गाँव से जयपुर आये, अगले ही दिन से कोचिंग जाना शुरू किया कितना उत्साह था कि कह नहीं सकता,, अंजान शहर में अजनबी लोगों के बीच भी मन कुलाचे मार रहा ही था कि फिर वो सुनहरा चेहरा नज्जर आया, वो हमारी सामने कोचिंग पर ही पड़ने आयी थी हाथों में किताबे लिए जीन्स और कुर्ती पहने फिर से मेरे सामने से जो गुज्जरी उसकी खुशबु से मन मेरा मेहकता रह गया,, अब तो हर रोज मै समय से पहले ही पहोच जाता और उसका इंतजार करता पर कभी बात करने की हिम्मत नहीं जुटा सका, 15,20 दिन से लगातार उसे देख रहा था तो शायद उसने गौर किया होगा तभी उसने पलट कर एक दिन देखा मुझे मै हैरान सा हुआ और उसके देखते ही अपना मुह छुपा लिया पर फिर धीरे धीरे नजरे मिलने लगी और एक दिन वो मुस्कुराई और चली गई, उसकी मुस्कान में जैसे अनेको तारे झिलमिला गए हो मेरे जीवन के शाम मे,, तब बात करने का फैसला किया जान बुझ कर उसके पास गया और कहा कि शायद आपकी चॉकलेट शायद गिर गयी थी वहाँ उसने मना किया की वो कोचिंग मे चॉकलेट नहीं लाई थी, मैने कहा शायद किसी और की गिर गयी होंगी पर आप ले लीजिये वो मेरे मन के भाव को समझते हुए ले ली, और थैंक्स बोल कर चली गई, फिर धिरे धीरे इसी तरह बात शुरू हुई,, और बातों के साथ दोस्ती, और इस तरह एक साल निकल गया पर मै कभी कह नहीं पाया अपने मन की बात, पर शायद उसके साथ से ही इतना अच्छे से मै पड़ पाया और मेरा आर्मी मे सलेक्शन हो गया, मैने उसे खुशी से सलेक्शन की बात बताई, सलेक्शन के बात सुनके घर पर सबको खुशी हुई, अब समय आ गया था घर जाने का माँ बाबा से मिलकर वहाँ से जोइनिंग पर जाने की ये बात मै ने उसे बताई की मै चलुंगी बस स्टैंड तक तुम्हें छोर ने, अगली सुबह से ही वो मेरे रूम पर आई सामान पैक कराने मे मदद की और वही मैट्रो से जिस सफ्फर की शुरुआत हुई वही खत्म होने वाला था पर अगर उसकी नम आँखे ना देखता,, देखा जो पूछ लिया की क्यों हो उदास वो बोली तुम जो जा रहे हो मैने कहा मै तो दोस्त ही था तो आँखों में आँसू क्यों वो बोली की जिन आँखों में आँसू देख रहे हो शायद उनमे कुछ और भी देख पाते जो दोस्ती से बड़कर हैं.. क्या सच में तुम भी,, उसने हा मे सिर हिलाया और मैने उसे गले से लगा लिया,, जैसे पतझड़ के बाद खिली हो फूलों पर बसंत, पर अब समय था बिछडने का पर हुए विदा दिल में लिए एक नयी उमंग, और आऊंगा मै वापस पर मिलने नहीं माँ बाबा को बताकर तुम्हें अपने साथ ले जाने अपनी दुल्हन बना कर...
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