शर्मसार है मानवता – मनकेश्वर महाराज “भट्ट”

बिक जाती है यूँ ही ख्वाइशें
सरेआम ,,
खिलौने की दुकान पर रोता
बदनसीब अनजान ,,
भूख की आग में चोरी 
करता वो बालक नादान ,,
उस पर भी मानवता 
की रेखा पार करें ,,
हर बाबू बुद्धिजीवी अवशेष ।।

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