छंद कुंडलिया
नौ दिन के ये नौतपा,भीषण ग्रीष्म प्रहार,
गर्मी ऐसी मनुज की,….जाए हिम्मत हार,
जाए हिम्मत हार,..निकलना घर से दूभर,
गर्मी से इंसान,…….बैठता छुप अपने घर,
ये गर्मी का माह,.काटता मानव गिन गिन,
भीषण होते खूब,…नौतपा के ये नौ दिन।
छंद कुंडलिया
Copyright (c) 2025 KAVYAKALASH All Right Reseved
0 Comments