आज हर कोई दोहे लिखना चाहता है पर दोहे जितने आसान नजर आते है उतने है नहीं,
पर रचना करना असम्भव भी नहीं है । दोहे की रचना से पूर्व मात्रा गणना नियम भी
जरूरी है।
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मात्राओं की गणना निम्नानुसार कर सकते है
१. किसी ध्वनि-खंड को बोलने में लगनेवाले समय के आधार पर मात्रा गिनी जाती है।
२. कम समय की एक तथा अधिक समय की दो मात्रा गिनी जाती है।
३. अ, इ, उ, ऋ तथा इन मात्राओं से युक्त वर्ण की एक मात्रा गिनें।
४. शेष वर्णों की दो-दो मात्रा गिनें।
५. शब्द के आरंभ में आधा अक्षर हो तो उसका कोई प्रभाव न होगा।
६. शब्द के मध्य में आधा अक्षर हो तो उसे पहले के अक्षर के साथ गिनें। क्षमा १+२, वक्ष
२+१, प्रिया १+२, विप्र २+१, उक्त २+१ आदि।
७. रेफ को आधे अक्षर की तरह गिनें। बरैया २+२+२।
मात्रा गणना के पश्चात् दोहा नियम
१. दोहा द्विपदिक छंद है। दोहा में दो पंक्तियां होती हैं।
२. हर पद में दो चरण हैं।
३. हर चरण में १३+११=२४ मात्राएं होती हैं।
४. तेरह मात्रिक पहले तथा तीसरे चरण के आरंभ में एक शब्द में जगण वर्जित होता है।
५. विषम चरणों की ग्यारहवीं मात्रा लघु हो।
६. सम चरणों के अंत में गुरु लघु मात्राएं आवश्यक हैं।
७. आधुनिक हिंदी में खाय, मुस्काय जैसे क्रिया रूप का उपयोग न करें।
८. दोहा मुक्तक छंद है।
९. श्रेष्ठ दोहे में लाक्षणिकता, संक्षिप्तता, मार्मिकता होना चाहिए।
१०. दोहे में संयोजक शब्दों और, तथा, एवं आदि का प्रयोग न करें।
११. दोहे में कोई भी शब्द अनावश्यक न हो।
१२. दोहा में कारक का प्रयोग कम से कम करें। दोहा की भाषा टैलीग्राफिक भाषा की तरह कम शब्दों में अधिक अर्थ लिए हो।
दोहा लयबद्ध रहे इसके लिए इसे केवल दो, तीन, चार और छह मात्राओं वाले शब्दों से ही
शुरू किया जाता है, पाँच मात्राओं वाले शब्द से दोहा का कोई चरण शुरू नहीं किया जाता।
प्रथम और तृतीय चरण शुरू करने के मात्रिक गणों के हिसाब से कुल 34 भेद छंद
विशेषज्ञों ने तय किए हैं। इसी प्रकार दूसरे और चौथे चरण के लिए 18 भेद तय किए हैं।
जिनका क्रमवार विवरण निम्रांकित है-
दो मात्राओं से दोहा शुरू करने के विद्वानों ने मात्रिक गणों के अनुसार 12 भेद बताए हैं-
2, 2, 2, 2, 2, 3 जैसे- दुख-सुख में जो सम रहे (होता सच्चा संत)
2, 2, 2, 2, 3, 2 जैसे- अब तक भी है गाँव में (कष्टों की भरमार) ह
2, 2, 2, 4, 3 जैसे- घर तो अब सपना हुआ (महंगी रोटी दाल)
2, 2, 4, 2, 3 जैसे- दिन-दिन बढ़ते जा रहे (झूठ और पाखंड)
2, 4, 2, 3, 2 जैसे- इक मानव की भूख है (इक साहो।
की प्यास)
2, 4, 2, 5 जैसे- धन-दौलत को मानते (जो अपना भगवान्)
2, 2, 4, 5 जैसे- घर की खातिर चाहिए (त्याग समर्पण प्यार)
2, 2, 4, 3, 2 जैसे- धन की अंधी दौड़ में (दौड़ रहे हैं लोग)
2, 5, 4, 2, जैसे- सब गद्दार निकाल दो (ले संकल्प महीप)
2, 6, 3, 2 जैसे- माँ सुलझाती गाँठ सब (पथ करती आसान)
2, 2, 6, 3 जैसे- नख भी कटवाया कभी (आता है क्या याद)
2, 6, 2, 3 जैसे- पढ़ पायेंगे क्या कभी (ऐसा भी अखबार)
दो मात्रा से प्रारम्भ होने वाले प्रथम और तृतीय चरण में शुरू में दो मात्रा के बाद तीन
मात्रा वाला शब्द नहीं आता। इसी प्रकार प्रारंभ में दो के बाद चार मात्रा आने पर तीन
मात्रा नहीं आती। साथ ही शुरू में तीन बार दो-दो मात्रा वाले शब्द आ रहे हों तो उनके
बाद भी तीन मात्रा नहीं आती। प्रारंभ में दो मात्रा के बाद छह मात्रा आने पर उसके बाद
चार मात्रा नहीं आती।
तीन मात्राओं से प्रथम और तृतीय चरण शुरू करने के आठ भेद बताए गए हैं-
3, 3, 2, 3, 2 जैसे- सजे हुए हैं ताज में (बिन खुशबू के फूल)
3, 3, 2, 2, 3 जैसे- प्यार दिनों दिन बढ़ रहा (यूं यारों के बीच)
3, 3, 2, 5 जैसे- निकल पड़ा जो ढूँढने (पाई उसने राह)
3, 5, 5, जैसे- बम्ब, धमाके, गोलियां (खून सने अखबार)
3, 5, 2, 3 जैसे- कोख किराये पर चढ़ी (ममता हुयी नीलाम)
3, 3, 4, 3 जैसे- नया दौर रचने लगा (नए-नए प्रतिमान)
3, 5, 3, 2 जैसे- एक अकेली जान अब (चारों पर है भार)
3, 3, 5, 2 सास-ससुर लाचार हैं (बहू न पूछे हाल)
शुरू में तीन मात्रा शब्द के बाद दो, चार और छह मात्रा वाले शब्द नहीं आते। इसी प्रकार
शुरू में तीन के बाद पाँच मात्रा हों तो उसके बाद चार मात्रा वाला शब्द नहीं आएगा।
चार मात्राओं से दोहे का प्रथम और तृतीय चरण शुरू करने के 10 भेद विद्वानों द्वारा
बताए गए हैं-
4, 4, 3, 2 जैसे- मंदिर मस्जिद चर्च में (हुआ नहीं टकराव)
4, 4, 2, 3 जैसे- देवी कहता है जिसे (रहा गर्भ में मासिंह
4, 4, 5 जैसे- गाड़ी, बँगले, चेलियाँ (अरबों की जागीर)
4, 2, 4, 3 जैसे- चंदन वन गायब हुआ (उगने लगे बबूल)
4, 2, 2, 2, 3 जैसे- गाँवों में भी आ गया (शहरों वाला रोग)
4, 2, 2, 3, 2 जैसे- मरना है हर हाल में (सुन ले अरे किसान)
4, 2, 2, 5 जैसे- लिखने का क्या फायदा (कलम अगर लाचार)
4, 3, 3, 3 जैसे- अच्छा हुआ न मिल सके (गंजों को नाखून)
4, 2, 5, 2 जैसे- दोनों दल खुशहाल हैं (करता देश विलाप)
4, 3, 4, 2 जैसे- देने लगा समाज भी (पैसे को अधिमान)
चार मात्रा से शुरू होने वाले प्रथम और तृतीय चरण में प्रारंभिक चार के बाद पाँच मात्रा
वाला शब्द नहीं आता। इसी प्रकार यदि चार मात्रा वाले शब्द के बाद दो मात्रा वाला शब्द
आ रहा हो तो उसके बाद तीन मात्रा वाला शब्द नहीं आता।
छह मात्राओं वाले शब्द से दोहे के प्रथम और तृतीय चरण की शुरूआत करने के चार भेद
होते हैं-
6, 2, 2, 3 जैसे- चौराहों पर लुट रही (अबलाओं की लाज)
6, 2, 3, 2 जैसे- सुविधाओं की चाह में (बिकता है ईमान)
6, 4, 3 जैसे- रामकथा करने लगे (बगुले बनकर सिद्ध)
6, 5, 2 जैसे- चौपालें खामोश हैं (पनघट है वीरान)
छह मात्रा वाले शब्द के बाद तीन मात्रा वाला शब्द नहीं आता।
दोहे का द्वितीय और चतुर्थ चरण-
प्रथम और तृतीय चरण की तरह ही दोहे का दूसरा और चौथा चरण भी केवल दो, तीन,
चार और छह मात्राओं से ही शुरू होता है।
दो मात्रा से शुरू होने वाले दूसरे और चौथे चरण के विद्वानों ने आठ भेद बताए हैं-
2, 2, 2, 2, 3 जैसे- (झूठ मलाई खा रहा) छल के सिर पर ताज|
2, 2, 2, 5 जैसे- (दिन-दिन बढ़ते जा रहे) घर में ही गद्दार |
2, 2, 4, 3 जैसे- (बरगद रोया फूटकर) घुट-घुट रोया नीम |
2, 2, 3, 4 जैसे- (मातृसदन घर पर लिखा) माँ को दिया निकाल
2, 4, 2, 3 जैसे- (दानव से बदतर हुई) अब मानव की सोच |
2, 4, 5 जैसे- (झूठे मिलकर सत्य को) कर देते लाचार |
2, 5, 4 जैसे- (सब गद्दार निकाल दो) ले संकल्प महीप |
2, 6, 3 जैसे- (मनसब की यदि आरजू) गा दरबारी राग |
दोहा के दूसरे और चौथे चरण की शुरूआत दो मात्रा वाले शब्द से हो रही हो तो उसके
बाद तीन मात्रा वाला शब्द नहीं आता।
तीन मात्रा वाले शब्द से दूसरे और चौथे चरण की शुरूआत के निम्र भेद तय किए गए हैं-
3, 3, 5 जैसे- (फैला भ्रष्टाचार का) सभी ओर आतंक |
3, 5, 3 जैसे- (ऊन काटकर भेड़ को) दिया दुशाला दान |
3, 3, 2, 3 जैसे- (जिसके पीछे भीड़ है) वही सफल है आज |
इसका चौथा भेद भी होता है जिसमें 3, 2, 3, 3 मात्राएँ होती हैं, किंतु बीच की मात्राएँ 2
और 3 वास्तव में पाँच मात्राओं वाले शब्द के रूप में ही प्रयोग की जाती हैं। जैसे अध
जले, अन मने।
तीन मात्रा से शुरू हो रहे दूसरे और चौथे चरण में प्रारंभिक तीन मात्रा वाले शब्द के बाद
दो मात्रा वाला शब्द नहीं आता।
चार मात्राओं वाले शब्द से दूसरे और चौथे चरण की शुरूआत के चार भेद बताए गए हैं-
4, 4, 3 जैसे- (राशन मुखिया खा गया) मिटती कैसे भूख |
4, 3, 4 जैसे- (भाव जमीनों के बढे) सस्ते हुए ज़मीर |
4, 2, 2, 3 जैसे- (छोड़ गया वो पूत भी) रोने को दिन-रैन |
4, 2, 5 जैसे- (बाँट दिया किसने यहाँ) नफ़रत का सामान|
चार मात्रा से शुरू होने वाले दूसरे और चौथे चरण में छह मात्रा वाले शब्दों का प्रयोग नहीं
होता। इसी प्रकार चार मात्रा वाले शब्द के ठीक बाद पाँच मात्रा वाला शब्द नहीं आता।
छह मात्राओं से दूसरे और चौथे चरण की शुरूआत के केवल दो ही भेद विद्वानों ने बताए
हैं-
6, 2, 3 जैसे- (सन्नाटा है गाँव में) खौफज़दा हैं लोग |
6, 5 जैसे- (सांप नेवलों ने किया) समझौता चुपचाप |
छह मात्राओं से शुरू होने वाले दूसरे और चौथे चरण में चार मात्राओं वाले शब्द का प्रयोग
नहीं हो सकता। इसी प्रकार छह मात्रा वाले शब्द की ठीक बाद तीन मात्रा वाला शब्द नहीं
आता।
इसके साथ-साथ कुछ और भी नियम विद्वानों ने तय किए हैं जैसे-
दोहे का प्रथम और तृतीय चरण जगण अर्थात ।ऽ। मात्रा वाले शब्द से शुरू नहीं किया
जा सकता। जैसे जमीन, किसान आदि शब्द।
दूसरे चरण के अंत में चार मात्रा वाला शब्द हमेशा जगण अर्थात ।ऽ। मात्रा के रूप में
ही आता है।
प्रस्तुत करने से पहले हर दोहे के कथ्य, शिल्प, भाषा और भाव को जांचें। दोहे का कथ्य
सुस्पष्ट, लाक्षणिक, संक्षिप्त, अलंकृत तथा सारगर्भित होना चाहिए ।
उदाहरण
दोहे उतने दूर है, जितने तुम हो दूर ।
सृजन कुंज से प्रेम कर, दोहे रचें जरूर ।।
तो आइये आज हम करते हैं दोहा अभ्यास ।।
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