एक गाँव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। राजू बहुत गरीब था और उसे हमेशा लगता था कि अगर उसके पास ढेर सारा पैसा होता, तो उसकी सारी परेशानी दूर हो जाती। उसने सोचा, "मैं खूब पैसे कमाऊँगा और अमीर बनूँगा!" उसने मेहनत भी की, थोड़ी बचत भी की, लेकिन जितना पैसा वह सोचता था, उतना कमाना बहुत मुश्किल था। पैसे कम थे, तो राजू का मन दुखी और परेशान रहता था।
एक दिन राजू की मुलाक़ात एक बहुत ही ज्ञानी व्यक्ति से हुई। उनसे बातें करके राजू ने सोचा, "अरे! असली सुख तो ज्ञान में है, पैसे में नहीं।" बस, राजू ने किताबों की दुनिया में गोता लगा दिया। उसने मोटी-मोटी किताबें पढ़ना शुरू कर दिया, सोचा कि अब वह विद्वान बनेगा। कई महीने बीत गए, पर अब उसका मन किताबों से भी हटने लगा। उसे लगा कि यह भी मुश्किल है।
फिर एक दिन राजू ने एक संगीतकार को देखा। संगीतकार के मधुर संगीत ने राजू के मन को शांति दी। राजू ने सोचा, "वाह! यह है असली खुशी! अब मैं संगीतकार बनूँगा!" उसने कुछ समय तक संगीत सीखने की कोशिश की, लेकिन इस बार भी उसका मन ज़्यादा दिन तक संगीत में नहीं टिका। उसे लगा, यह भी उसके बस की बात नहीं।
राजू बहुत परेशान था। उसने बहुत कुछ करने की कोशिश की थी, पर कहीं भी उसे सफलता और शांति नहीं मिली। एक दिन उसकी मुलाक़ात एक शांत और समझदार संत से हुई। राजू ने उन्हें अपनी सारी कहानी बताई – कैसे वह पहले अमीर बनना चाहता था, फिर विद्वान, और फिर संगीतकार, पर कहीं भी सफल नहीं हो पाया।
संत ने ध्यान से राजू की बात सुनी। फिर मुस्कुराते हुए बोले, "राजू, तुम्हारी समस्या पता है क्या है? तुम हर बार अपना लक्ष्य बदल देते हो! जब तक तुम एक चीज़ पर टिक कर, पूरे मन से काम नहीं करोगे, तब तक सफलता और खुशी तुमसे दूर ही रहेंगी।"
संत ने आगे समझाया, "इस दुनिया में मन भटकाने वाली बहुत सारी सुंदर और आकर्षक चीज़ें हैं। अगर तुम हर बार किसी नई चमकती चीज़ को देखकर अपनी राह बदलते रहोगे, तो कभी भी अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच पाओगे। तुम्हें एक रास्ता चुनना होगा और उस पर डटे रहना होगा।"
राजू ने संत की बात सुनी और उसे अपनी गलती समझ में आ गई। उसने फैसला किया कि अब वह एक लक्ष्य चुनेगा और उस पर पूरी ईमानदारी और धैर्य से काम करेगा।
कहानी से राजू ने ये 5 सीखें लीं, जो तुम्हारे लिए भी हैं:
एक लक्ष्य चुनो और उस पर टिके रहो: अगर तुम जानते हो कि तुम्हें कहाँ जाना है, तभी तुम वहाँ पहुँच पाओगे।
चमकीली चीज़ों से बचो: बहुत सारी चीज़ें अच्छी लग सकती हैं, पर अगर वे तुम्हारे असली लक्ष्य से भटका रही हैं, तो उनसे दूर रहो!
बार-बार रास्ता मत बदलो: हर बार नई शुरुआत करने से सिर्फ़ समय और ताकत बर्बाद होती है।
खुशी तुम्हारे अंदर है: असली खुशी बाहर की चीज़ों में नहीं, बल्कि मन की शांति और संतोष में मिलती है।
ईमानदारी और धैर्य सबसे बड़े दोस्त हैं: जो भी काम करो, उसे पूरी ईमानदारी और सब्र के साथ करो। ऐसी सफलता ही हमेशा टिकती है!
उस दिन के बाद, राजू ने एक लक्ष्य चुना और उस पर डटकर मेहनत की। धीरे-धीरे उसे सफलता और मन की शांति दोनों मिलीं।
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