#बह्र=#212/212/212/212
#मिसरा=#शौक से आप मुझको सजा दीजिए,
क्या खता है मेरी ये बता दीजिए।
#क़ाफ़िया=#स्वैच्छिक
#रदीफ़ =#स्वैच्छिक
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#बह्र=#212/212/212/212
#क़ाफ़िया=#"आने " की बंदिश
#रदीफ़ =#" लगे"
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जब से ,.....मेरे वो नजदीक आने लगे,
हमको सारे ही मौसम ,....सुहाने लगे।
हाथ तेरा जो आया ,........मेरे हाथ में,
ज़िंदगी के दिए ,........जगमगाने लगे।
किस तरह आँख के अश्रु ,..मैं रोक लूँ
इन को आँखों में आते,....ज़माने लगे।
देखकर इस सियासत के,करतब सभी,
अब तो शैतान भी,....ख़ौफ़ खाने लगे।
जिनका कोई नहीं, ..ख़ुद का मेयार था,
अब वही सब मुझे ,.....आजमाने लगे।
वक़्त की मार हम पर,पड़ी जिस समय,
हम ,...ज़रा जोर से खिलखिलाने लगे।
उसने पूछा,........ बताओ कहाँ चोट है,
घाव उससे,....... मग़र हम छुपाने लगे।
वक़्त थोड़ा बुरा ,.....आ गया क्या मेरा,
सब ही ,...औक़ात अपनी दिखाने लगे।
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