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जीने में भी नहीं,....न ही निकला है प्यार में,
जीवन निकल गया है सभी,.... मार धार में।
जीवन के ले मजे नहीं, ....पाते हैं अब सभी,
जीवन का तर्जुमा हुआ है ,....फ्लैट कार में।
बजता रहे ये हर समय,.हर दिन ही हर घड़ी,
आवाज हो मग़र कहाँ,.....जीवन सितार में।
चाहे तो चापलूसी ,........या जूती उठा मिले,
सब बेतरह लगे हुए हैं ,...........पुरस्कार में।
उसको ख़बर हो फिर कहाँ,दिन है कि रात है,
जो शख़्स मुब्तिला हो,किसी के भी प्यार में।
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