जिम्मेदार इंसान - नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

नशा जिंदगी का 

अभिशाप नशा नाश 

विनाश को देता दावत 

नशा जिंदगी का पाप।।


नशा दौलत का ताकत का

शोहरत का हुश्न का नशा

अंतर मन का खोखला

अभिमान।।


नशा शराब धीरे धीरे 

गलता इंसान शराब 

दौलतमंद का नशा दारू

 ठर्रा महुआ गरीब

का अहंकार।।


गांजा भांग चरस 

अफीम हीरोइन हसीस 

जाने क्या क्या नाम नही 

मिलता परम्परागत नशा 

तो ड्रग एडिक्सन नए 

युग का नशा नायाब।।


खैनी गुटका पान 

धूम्रपान तंबाकू बीमारी 

पैसा देकर खरीदता 

इंसान।।।                       


अब तो ऐसे हालात 

नादान सिगरेट 

बीड़ी का कस 

खिंचते वर्तमान

भविष्य के कर्णधार।।         


पर्यावरण प्रदूषित प्रकृति

परेशान ना जाने कितनी

बीमारिया प्रदूषण पर्याय।।


तम्बाकू खैनी बीड़ी 

सिगरेट जीवन में छैनी 

धीरे धीरे खोखला करती  

जिंदगी मजधार में ही 

निबट जाता इंसान।।


बीड़ी सिगरेट के धुएं में 

पल प्रहर जलता घुट घुट

कर मरता इंसान।।


कैंसर जैसी भयंकर बीमारी

को बैठे बैठे दावत देता सुर्ती

तंबाकू के सेवन से इंसान।।


पीताम्बर का आवाहन 

युग विश्व के मानव सुनो

ध्यान लगाय सुर्ती तंबाकू

बीड़ी सिगरेट से तौबा 

कसम उठाओ आज।।


बीबी बच्चों पर तो कुछ

रहम करो जिनका जीवन

तुमसे तुम ही हो उनके 

जीवन खुशियों के नाज़।।


असमय अगर बीमारी के

बन गए ग्रास महंगा बहुत

इलाज इलाज में ही जाते 

कंगाल ।।


जीवित गर रह पाए तब

भी जीवन भार नही रहे

यदि परिवार झेलता सजा

दर दर फटेहाल।।


नौबत ही क्यो आये तुम

जिम्मेदार इंसान ऐसा कुछ

भी ना पालो सौख नशा

जीते जी ही मर जाए 

चाहत  का परिवार।।                   


कुछ तो  रहम करो 

खुद पर ना आये कोई 

बीमारी आफत जंझाल।।


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!

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