जिंदगी आहिस्ता - नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

जिंदगी चलती 

आहिस्ता आहिस्ता

बचपन जवानी 

जरा की शाम आती 

जाती सुबह शाम पल 

प्रहर बढ़ती घटती 

जाती है आहिस्ता 

आहिस्ता।।


खुशी गम के साये 

आते जाते जिस्म 

किराए का घर 

चढ़ता ढलता 

आहिस्ता आहिस्ता।।


नीद नही आती 

सारी रात जगाती

भूख प्यास नही 

नज़रों से दिल में 

उतरती जुनून 

इश्क जगाती 

मोहब्बत आहिस्ता 

आहिस्ता।।


नशा जिंदगी 

सुरूर गुरुर 

मिलना बिछुड़ना 

रिश्तो का मुकाम 

मौका मतलब मिर्ची 

मिश्री शहद जिंदगी 

आहिस्ता आहिस्ता।।


कभी मौका 

कभी धोखा

कभी हसरत की 

हस्ती जिंदगी

आहिस्ता आहिस्ता।।


कही घर है 

कही घराना

जिंदगी रिश्तो 

रास्तों का याराना 

नज़राना आहिस्ता

आहिस्ता।।


नशा जिंदगी 

दौलत का कभी 

शान शोहरत का 

रिश्तों मद की मधुशाला 

आहिस्ता आहिस्ता।।


खास खुशबू 

खासियत खुमार 

हाला प्याला उत्साह 

उत्सव से गुजरती

उमंग तरंग तरानों 

उछलती फिर 

मकसद मंजिल को 

बढ़ती आहिस्ता 

आहिस्ता।।


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!

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