सनातन साधु संतो का वलिदान - नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

कौन कहता है 

सत्य सनातन 

साधु संत धर्म कर्म 

साधना आराधना 

शास्त्र आचरण 

का सिर्फ प्रवचन 

सुनाते।।


जब- जब राष्ट्र 

समाज पर 

क्रुरता आक्रांता 

आता माँ भारती को 

कोई आँख दिखता 

साधु संत समाज

जागृत हो राष्ट्र रक्षा मे 

आगे आता!!


साधु संत का 

देवालय से क्रांति 

चेतना के अंगारों में 

खुद की आहूति  

भेंट चढ़ाते।।


घंटे और घड़ियालों की 

आवाजों से राष्ट्र 

समाज को 

नित्य जागते ।।


कुरूक्षेत्र के 

युद्ध भूमि से 

योगेश्वर कृष्ण का 

गीता ज्ञान  प्रत्यक्ष 

प्रमाण धर्म युद्ध में 

पांचजन्य की 

शंखनाद है करता।।


भारत ने भुला दिया 

सत्य सनातन के

साधु संतों सन्यासियों का 

देश भक्ति बलिदान!!


गौरवशाली इतिहास

सर्वश्व न्यवछावर कर 

बचा लिया जिसने 

भारत की लाज।।


भारत की आजादी 

गणतन्त्र शुभ पर्व माँ 

भारती की रक्षा पर 

मिट जाने वाले संतो की 

हम याद दिलाते ।।


मिट गए हज़ारो 

जल नदी की 

रक्त सी हो गयी लाल 

अफगानी आक्रांता के 

नियत और इरादे रौंदना 

भारत भूमि पे था करना 

मौत का था नंगा नाच ।।     


विकृत विचारों का 

दानव दुष्ट निकल 

पड़ा भारत को करने

शर्म सार भारत 

भूमि की मर्यादा का 

करने तार तार।।


नागा साधु संतों ने 

किया प्रतिकार एक 

हाथ मे वेद पुराण 

दूजे हाथ तलवार।।


दुश्मन से करने 

दो दो हाथ 

हर हर महादेव 

जय भवानी की 

गूंज गान।।


नागा साधु संतों ने 

भारत की मर्यादा 

रक्षा में सर्वश्व किया 

बलिदान नापाक 

इरादों के दुशमन कर 

दिया धूल धुसित 

भगा लेकर जान।।


बचा लिया होने से 

भारतीयों का

कत्लेआम ना जाने 

कितने भारतवासी 

दानवता की चढ़ते 

भेट मंदिर तोड़े 

जाते होती वहाँ 

आज़ान।।                              


वर्तमान में भारत की 

पीढ़ी गुलामी

की एक अलग 

काला अध्याय 

सुनतेऔर सुनाते।।


ना जाने क्यों 

भुल गया भारत का 

इतिहास भारत के 

सत्य सनातन के 

नाग साधु संतो के 

सौर्य पराक्रम का 

बलिदान।।


गनतंत्र दिवस पर 

नागा साधु संतों के 

बलिदान बीरता का 

इतिहास हम भारत 

वासी है गाते श्रद्धा से 

 शीश झुकाते।।


भारत की आज़ादी 

अस्मत पर ना जाने  

कितने ही इतिहास

अनजाने -जाने 

हम याद दिलाते!!              


भारत की आज़ादी 

अस्मत के बलिदानों  

को कृतज्ञ राष्ट्र के 

माथे का चंदन  

गौरव गरिमा मान 

अभिमान सुनते ।।


नन्दलाल मणि  त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!

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