चाँद तुझसे कई रिश्ते दूरियाँ नजदीकियाँ – प्रवीणा त्रिवेदी नई दिल्ली

 

1.

धवल शीतल चन्द्रिका
सोहती वन वीथिका
चाहता है हर युगल
तुझसे बढ़ाना प्रीतियाँ
चाँद तुझसे कई रिश्ते
दूरियाँ नजदीकियाँ
2.
मेरे मन की ये उमंगें
छेड़तीं उर की तरंगें
है रसिक तेरा चकोर
गाये विरह की पक्तियां
3.
पर्व करवा चौथ आया
साथी का दीदार पाया
हर किसी मन की तरह
होती हैं तेरी नीतियां
चाँद तुझसे कई रिश्ते
दूरियाँ नजदीकियाँ

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