एक सुंदर आश्रम में प्यारे-प्यारे बच्चे पढ़ते थे। उनके गुरुजी बहुत ज्ञानी और दयालु थे। उन्हीं बच्चों में एक था छोटू। छोटू बड़ा ही प्यारा था, लेकिन उसमें एक बुरी आदत थी - वह बहुत आलसी था! उसे हर काम कल पर टालना पसंद था। गुरुजी हमेशा उसे समय का महत्व समझाते, पर छोटू की आदत बदलती ही नहीं थी।
जब छोटू की पढ़ाई पूरी होने वाली थी, तो गुरुजी को चिंता हुई। उन्होंने सोचा, "अगर छोटू को समय की कीमत नहीं पता चली, तो वह जीवन में कैसे सफल होगा?" तभी गुरुजी को एक तरकीब सूझी।
एक सुबह गुरुजी ने छोटू को बुलाया और उसे एक चमकीला पत्थर दिया। "छोटू," गुरुजी बोले, "यह एक जादुई पारस पत्थर है। अगर तुम इसे किसी भी लोहे की चीज़ से छुआओगे, तो वह सोना बन जाएगी! तुम्हारे पास इसे इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ दो दिन हैं। मैं दो दिन के लिए दूसरे गाँव जा रहा हूँ, लौटकर मैं यह पत्थर तुमसे वापस ले लूँगा।"
छोटू की आँखें चमक उठीं! "सोना? इतना सारा सोना? अब मुझे कभी काम नहीं करना पड़ेगा!" उसने मन ही मन सोचा। जैसे ही गुरुजी आश्रम से बाहर गए, छोटू ने एक गहरी साँस ली और सोचा, "अभी तो दो पूरे दिन हैं। आज तो मैं खूब आराम करूँगा। कल सुबह ढेर सारा सोना बनाऊँगा!" और यह सोचते हुए वह अपनी नरम बिस्तर पर सो गया।
अगले दिन जब छोटू उठा, तो उसे ज़ोरों की भूख लगी थी। "पहले पेट पूजा, फिर काम!" उसने कहा और नाश्ता करने बैठ गया। नाश्ता इतना स्वादिष्ट था कि उसे फिर से नींद आने लगी। "थोड़ी देर सो लेता हूँ, शाम को तो पूरा दिन पड़ा ही है सोना बनाने के लिए," उसने सोचा और फिर सो गया।
शाम हुई और सूरज छिपने लगा। तभी आश्रम के दरवाज़े पर गुरुजी दिखे। "छोटू," गुरुजी ने प्यार से कहा, "दो दिन पूरे हो गए। अब वह जादुई पत्थर मुझे वापस कर दो।"
गुरुजी को देखकर छोटू का चेहरा पीला पड़ गया! उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने पूरा समय आलस में बर्बाद कर दिया था और अब उसके पास एक भी पल नहीं बचा था सोना बनाने के लिए। उसकी आँखों में आँसू आ गए।
गुरुजी ने छोटू के सिर पर हाथ फेरा और कहा, "देखा छोटू, यही समय का महत्व है। जो समय बीत जाता है, वह कभी वापस नहीं आता। तुमने आलस करके एक बहुत बड़ा मौका खो दिया।"
उस दिन छोटू को एक बहुत बड़ा सबक मिला। उसे समझ में आ गया कि समय सच में सोना है और उसे कभी भी आलस में बर्बाद नहीं करना चाहिए। उसने गुरुजी से वादा किया कि वह अब कभी समय की कद्र करना नहीं भूलेगा और हर काम को समय पर करेगा।
कहानी से सीख:
समय की कद्र करो, आलस को छोड़ो!
आज का काम कभी कल पर मत टालो!
हर पल है अनमोल, इसे समझो!
उस दिन के बाद छोटू बदल गया। वह अब मेहनती बन गया था और उसने समय का सही इस्तेमाल करना सीख लिया था। और पता है क्या? धीरे-धीरे वह जीवन में बहुत सफल भी हुआ!
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