नन्हे किसान की राह और भौंकने वाले कुत्ते

 एक छोटे से प्यारे गाँव में एक मेहनती किसान रहता था, जिसका नाम था रामू। रामू बहुत परिश्रमी था, लेकिन उसे हमेशा लगता था कि वह जो भी काम शुरू करता है, उसे पूरा नहीं कर पाता। छोटे-छोटे कामों में उलझकर उसका बड़ा काम छूट जाता था।

एक दिन, रामू उदास होकर गाँव के ज्ञानी संत के पास गया। "गुरुदेव," रामू बोला, "मैं जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता हूँ, लेकिन जब भी कोई काम शुरू करता हूँ, तो रास्ते में भटक जाता हूँ। मेरा मुख्य काम हमेशा अधूरा रह जाता है।"

संत मुस्कुराए और बोले, "रामू, मैं तुम्हारी मदद करूँगा। कल मैं तुम्हारे घर आऊँगा और तुम्हें एक बहुत ज़रूरी बात समझाऊँगा।" रामू खुश होकर घर लौट आया।

अगले दिन, जब संत रामू के घर पहुँचे, तो रामू अपने खेत पर था। रामू की पत्नी ने संत का बहुत आदर-सत्कार किया और उनके बेटे को खेत पर भेजकर रामू को बुलाने के लिए कहा।

कुछ ही देर में रामू घर लौट आया। उसके साथ उसका प्यारा कुत्ता, मोती भी था। मोती तेज़ी से हाँफ रहा था, जैसे बहुत दौड़कर आया हो, लेकिन रामू बिल्कुल शांत और सामान्य दिख रहा था।

संत ने मोती को देखा और रामू से पूछा, "रामू, क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है? तुम्हारा कुत्ता इतना थका हुआ क्यों है, जबकि तुम बिल्कुल ठीक हो?"

रामू हँसते हुए बोला, "गुरुदेव, मेरा खेत तो बहुत पास है। मैं तो सीधे रास्ते से आया हूँ। लेकिन मेरा कुत्ता मोती... वह बड़ा शैतान है! रास्ते में जितने भी दूसरे कुत्ते मिले, वह उन सब पर भौंकता, दौड़ता और लड़ता आया है। वह बार-बार अपने रास्ते से भटकता रहा, इसीलिए इतनी थकावट है।"

संत ने प्यार से रामू को देखा और गंभीर स्वर में कहा, "यही तो जीवन का सच्चा नियम है, मेरे बच्चे! जब हम अपने किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, तो रास्ते में बहुत सारी चीज़ें आती हैं जो हमें भटका सकती हैं – जैसे लोभ, गुस्सा, दूसरों से जलना या आलस। अगर हम हर छोटी बात पर मोती की तरह प्रतिक्रिया देने लगेंगे, तो हम थक जाएँगे और अपने असली लक्ष्य तक कभी नहीं पहुँच पाएँगे।"

संत ने आगे कहा, "तुम्हारा लक्ष्य खेत से घर आना था, और तुम सीधे उसी रास्ते पर चले, बिना थके पहुँच गए। लेकिन मोती ने हर बेकार चीज़ में उलझकर अपनी सारी शक्ति गँवा दी। जीवन में भी अगर हम सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दें और बाकी फालतू की बातों को अनदेखा करना सीख जाएँ, तो हमें सफलता बहुत जल्दी मिल जाती है।"

रामू की आँखों में समझ की चमक थी। उसने चुपचाप सिर झुकाकर कहा, "गुरुदेव, मैं समझ गया। आज से मैं अपने लक्ष्य पर ध्यान दूँगा और फालतू की बातों में नहीं उलझूँगा।"

जीवन के 5 सुनहरे सूत्र (कहानी से सीख):

  1. अपने लक्ष्य पर आँखें गड़ाए रखो: जैसे रामू सीधा चला, वैसे ही तुम्हें भी जीवन में सीधे रास्ते पर चलकर अपने लक्ष्य तक पहुँचना चाहिए।

  2. फालतू बातों में मत उलझो: कुत्ते की तरह दूसरों से लड़ना या बेकार की बहस में पड़ना अपनी ऊर्जा और समय बर्बाद करना है।

  3. समय बहुत कीमती है: जब हम लक्ष्य से भटकते हैं, तो हमारा समय और ताकत दोनों बेकार हो जाते हैं।

  4. लालच और धोखे से दूर रहो: रास्ते में कई लालच या मज़ेदार लगने वाली चीज़ें तुम्हें रोक सकती हैं, उनसे बचो!

  5. धीरज रखो और कोशिश करते रहो: जो बच्चा बिना थके, बिना भटके, लगातार मेहनत करता रहता है, वही सबसे ऊपर पहुँचता है।

याद रखो, सच्ची सफलता वही है जो तुम्हें शांति और खुशी दे, और यह तब मिलती है जब तुम धैर्य, ईमानदारी और निरंतर कोशिश के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हो!

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