प्रिये तुम मेरी जीवन सरिता
तुममे है फूलों सी कोमलता
नयन तुम्हारे नयन नहीं है
नेह निम्ंत्रण हैं।
मेरा भी आग्रह स्वीकार करो
प्रिये मुझ पर ये एहसान करो
मेरा आमंत्रण स्वीकार करो।
अधर नहीं है मद के प्याले हैं
तुम्हारी मुस्कान से फैलते उजाले है
जाने किस कुशल करों के तुम्हें तराशा है,
रूप तुम्हारा कोहिनूर है ,देह बताशा है
जीवन पथ पथरीला है,आसान करो
प्रिये बस मुझ पर तुम एहसान करो
तुम आये तो शब्द बोल उठे,मैने लिखना सीख लिया।
मेरी लेखनी पर एहसान करो,तुम भाव बनो,
मै शब्द बनूं,मैने तुझमे जीवन देख लिया।
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