मेवाड़ी शान~
राणा प्रताप पर
है अभिमान
राणा प्रताप पर
है अभिमान
राणा प्रताप~
कोई सह न पाया
उनका ताप
डिगा न सका~
अकबर राणा को
झुका न सका
राणा अमर~
दुश्मन भी काँपता
था थर-थर
बढ़ाया मान~
कुट-कुट के भरा
था स्वाभिमान
समर खड़ा~
स्वामी भक्त चेतक
युद्ध था लड़ा
झुकता माथा~
माटी के कण-कण
में शौर्य गाथा
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