।।अहमियत।। - नरेश चाष्टा “नक्ष”

 जीवन के सफर में
तुम्हारी अहमियत ।

मानो अमावस की रात मे
जुगनू सी मलकियत ।
मुकम्मल होते ख्वाब को
भौंर की इबादियत ।

तुम्हारी अहमियत………

श्री जी के दर्शन में पूर्णता लाती
जो चरणामृत की अंजलि।
यौवन के श्रृंगार में चार चांद लगाती
वो माथे की टिकली।

तुम्हारी अहमियत………….

तपस्वी के जीवन को अद्भुत बनाती।
उसकी मौन साधना।
राहगीर की राह को शीतल जताती।
घने वृक्ष की कामना।

तुम्हारी अहमियत……….।

हर एक वृद्ध को सहारा देती
उसकी वफादार लाठी।
मेरे अंतर मन को हर्षा जाती
तुम जैसी साथी।
.
तुम्हारी अहमियत………..

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