झुका दे संसार – प्रतीक प्रभाकर

 थामे  जो  रफ्तार को

मिटाये हाहाकार को

वह तुमने   क्षमता  है 

जो झुका दे संसार को ।।

तुम चलो तो धरती हिले

झुका दो आसमान नीले

विश्वास खुद पर हो जब

तो हिला दे  पहाड़  को ।।

तुम रोक दो तूफान को 

हासिल करो सम्मान को 

पथ पर बस नजर रखो 

दिखा दो हर नर नार को ।।

रोक के दुखों का गर्जन 

कर लो मेहनत से अर्जुन 

विष पिया अब और नहीं 

पियो अमृत के धार को ।।

थामे  जो  रफ्तार को 

मिटाए हाहाकार को 

वह तुम में क्षमता है 

जो झुका दे संसार को।।

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