गहरे जख्म
वक्त के साथ
भर तो जाते
मगर, टीस नहीं कमते
दाग भले न दिखे
आग जलते रहते
और जख्मी आदमी
आंसू - दर्द के साथ
वक्त का करता इंतजार
सच, आदमी महान
भूलता नहीं बात
देर - सबेर रख ही देता
दिल के सारे भाव
सच, जख्म भर जाते
मगर, टीस रहता जिंदा
और मानवी कमजोरी
लौटाये - सुनाये बिना
मिलता नहीं कभी चैन
सच, जख्म भर जाते
टीस, मारते रहता हिलोरा।
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