चमचों का जब
बढ़ता जोर - शोर
तब दूम हिलाता
चमचा भी तरेरता
आंख और मुंह
बेवजह देता दर्द
छोड़ता संकोच
देता झटका पर झटका
निकलता खार - रार
सच, तब चमचा
सब कुछ कह देता
जो नहीं कहना चाहिये
हां में हां मिलाने वाला
बेशर्मी - बेदर्दी से
बताने लगता औकात
तब चमचा, चमचा नहीं
बन जाता सांप
खोलने लगता राज
उसकी मौजूदगी
कपाने लगता हाड़।
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