संघर्ष – मदन सिंह सिंदल “कनक”

 संघर्ष क्या जानों तुम मेरा,
पूछो मेरे चितवन से,

कभी भूखा और कभी एक समय,
पर सदा मनन चितवन में,

हठ, संघर्ष देख, ईश्वर का
था मन भर आया,

राजयोग का वर देकर,
था संघर्ष का मान बढ़ाया,

सदा रहो संघर्षी जग में,
लक्ष्य सदा हो चितवन में,

विजय सदा वरण करेगी,
“कनक” मनन रखो चितवन में।

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