दोस्तों कि महफ़िल - नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

महफ़िल में दोस्तों कि 

हुस्न कि बात चली 

हर जुबाँ से तेरा ही 

नाम आया ।।                            


दिल जुबाँ के हर चेहरे पे

काश कशमकश खामोशी 

उम्मीदों का साया!!

                                    

ख़ाबों कि शहजादी 

करम किस्मत इल्तजा 

दिलों कि तमन्नाओं कि 

चाँद पर चांदनी कि छाया!!                    


आदमी इंशा दीवाना 

संग जिंदगी अर्ज आरजू                            

अरमानों का इश्क नाज 

नजरना तुमको पाया।।                          


सबकी नज़रों में 

इश्क का नशा 

इश्क के इबादत कि 

खुदाई शान जाने जाना ।।                    


तेरी मुस्कुराहटों पर 

मिट जाता हर क़ोई 

तू तो  मोहब्बत जज्बे कि 

ईमान नजराना।।


इश्क आग का दरिया है 

डूब कर  जाना 

शोला शबनम अंगार 

आशिकी मे जल जाना                     


इश्क कि आग में तेरे 

 परवानो है मिट जाना!!


नज़रों कि नूर है 

सांसो धड़कन कि  

हद हस्ती मादकता 

मधुशाला!!


तेरा दीदार  ईद दिवाली 

खुशिया तमन्नाओ का

इज़हार परवाना!!      


 नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!

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