" दोहा छंद मुक्तक"
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ज्ञान बाँटते हैं सभी,.....कभी न देते साथ,
साथ न चलते दो कदम,सिर्फ़ बताते पाथ,
रोने को देते नहीं ,......काँधा अपना लोग,
दुख में कोई भी नहीं, ....आँसू पोंछे हाथ।
" दोहा छंद मुक्तक"
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ज्ञान बाँटते हैं सभी,.....कभी न देते साथ,
साथ न चलते दो कदम,सिर्फ़ बताते पाथ,
रोने को देते नहीं ,......काँधा अपना लोग,
दुख में कोई भी नहीं, ....आँसू पोंछे हाथ।
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