देखो कैसा कलयुग आया
पग -पग पे क्यों बिछी बिसात
नारी की अस्मिता रौंदते
करते मन पर सब आघात।
कब तक नारी चुप रह रह कर
सहती जाये अत्याचार?
वो सृष्टि की सृजन कर्ता पर
छ्ली जात क्यों बारम्बार?
देखो कैसा …..
जब पंगु कानून हो जाता
हो दोगला जब व्यवहार
तोड़ों सारी सीमाओं को
कर अपना लो तुम उद्धार
देखो कैसा……
हमको निज अब मान बचाना
नारी सेना हो तैयार
बनना.दुर्गा ,काली होगा
तेज हौंसले की हो धार
कैसा …
आज बजा दो बिगुल धरा पे
करने पापी सब तुम नाश
हो नहीं कमजोर तुम नारी
कर दो सब दुष्टों का नाश
कैसा….
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