दिनेश प्रताप सिंह चौहान

रोला


आखिर क्यों भगवान?दुष्ट सब मौजें मारें,

जीतें सारे धूर्त,......भले सब हर दम हारें।

दुष्ट खुशी में खूब,.......भले हैं दुख में सारे,

दुष्ट खा रहे खीर,........भले रोटी के मारे।।

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