चारों तरफ अंधेरा
संसय भ्रम का मेला
भय भयाक्रांत
ब्रह्माण्ड अंधेरों में खोया।।
आशा विश्वास
सम्भवतः हो
उजियार!!
असंभव कि सभवना
उजियार मील पथ
विश्वास प्रकृति प्राणी
परिवार।।
अविश्वास वेदना
अंधेरा जल जीवन
सृष्टि दृष्टि का ध्येय
ध्यान!!
संघर्ष भटकाव
अस्तित्व पुकार
हाहाकार।।
आहत ब्रह्माण्ड निराश
ईश्वर को काल पुकार
बैठा नीर झिर सागर
अधर बांसुरी मुस्कान!!
फन शेष नाग सागर
छीर नीर निश्चित शयन
सृष्टि सम्भवना स्वयं
सिद्ध आधार देता मुक
आशीर्वाद।।
अंधकार महाप्रलय
का निश्चित छाट जायेगा
आएगा उजियरा चंद्र मौली
महाकाल!!
आस्था महाप्रलय
निशा मध्य आस्था
अस्तित्व चंद्र प्रादुर्भाव।।
ब्रह्ममुहूर्त की बेला
नव प्रभात लाएगा
ब्रह्म दिवस शुभारंभ
प्रथम देव सूरज लाली
किरणे परम् प्रकाश
आशा का सांचार।।
छंट जाएगा अंधकार
उदित उदय अम्बर पर
नव उत्साह शौर्य सूर्य
अन्तर्मन ब्रह्माण्ड प्रकाश।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!
0 Comments