जीवन की शक्ति – डा. ललित फरक्या “पार्थ”

 (एक प्रेरणादायक कविता)


प्रभात की पहली किरण है जीवन,
हर धड़कन में छिपा चरम प्रयोजन।
दर्द के सागर भी है गहरे,
फिर भी ज़िन्दगी मुस्काए।

बीज से वृक्ष तक की जो यात्रा,
वही तो है शक्ति की परिमात्रा।
तूफानों से लड़ना सिखाती,
संघर्षों में ज्योति जगाती।

गिर कर फिर उठ जाना जीवन,
अंधेरे में दीप बन जाना जीवन।
जर्जर राहों पर चल कर भी,
स्वप्नों का संबल बन जाना जीवन।

हौसलों की पतवार है जीवन,
संकल्पों की धार है जीवन।
जो थामे विश्वास की डोरी,
वो कर दे हर विपदा से दूरी।

रुके नहीं, थमे नहीं ये धार,
हर क्षण में भरे नया आधार।
सांसों की लय में गूंजती पुकार —
“मत डर, तू ही है अपना उद्धार!”

जीवन की शक्ति — न सीमित, न मौन,
वो अग्नि भी है, और शीतल कौन।
चेतना की अनंत है भाषा,
जिससे खिल उठती हर आशा।

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