कवि विपिन गुप्ता

 प्रेम का मुझमें कुछ तो असर आएगा,
और आया भी तो इस कदर आएगा।
बनके तुम राधिका मुझको देखोगी गर,
श्याम मुझमें तुम्हारा नजर आएगा।

प्रेम की तुम अलौकिक कहानी बनो,
प्यार की तुम हमारी निशानी बनी।
मन में जपना सदा श्याम के नाम को,
बन सको तुम अगर राधा रानी बनो।

पत्र को डाकिया से मिला दीजिए,
प्रेम की साधिका से मिला दीजिए।
जन्मों-जन्मों का प्रेम बिछुड़ा है ये,
कृष्ण को राधिका से मिला दीजिए।

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