शरारतें बचपन की ज़िंदगी
खूबसूरत यादों का आईना।
अजीब हरकते पहली बारिश
भीगना माँ बापू को सताना
शरारते खुशियों का खजाना।।
बचपन की शरारत चोरी
गुड़ खाना वारिस का पानी
कागज की कश्ती में समंदर तराना।।
बचपन मे भाई बहनों से लड़ना
झगड़ना गुड्डे गुड्डी का खेल कट्टी
मिल्ली मिलना रोना मुस्कराना।
बचपन की शरारतों में शामिल
कीचड़ मिट्टी धूल अंधेरे आवाज़
से डर जाना।।
माँ बापू कोशिश करते
डर जाऊं सो जाऊं
शरारतों से अच्छा लगता
माँ बापू को रात रात जगाना।।
शरारतों में शामिल गली
मोहल्लों गाय कुत्तो संग खेलना
गोदी में घूमना जब भी गोदी से
नीचे उतरता रोना चिल्लाना।।
घर की तमाम साज सज्जा को
बिखेरना मना करने पर जिद्द
ऐसी करना दूँनिया ही सर पे उठाना।।
रूठना मानना पे सिर पैरों की
मांग पे माँ बापू रिश्ते नातों को
झुकाना।।
कहते सब बचपन भगवान का
रूप भगवान भी बचपन का
बहाना ।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!
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