सौरभ कुमार जायसवाल

 आभारी हूँ में माँ भारती का की जन्म हुआ मेरा यहाँ।

आदि काल से चलती आ रही संस्कृति का हिस्सा बना।

देवभूमि ये पुण्यधाम है, पवित्रता का दूसरा नाम है।

हर्षित हरियाली , पुलकित हर प्राण है।

सज्जित है वेद ,पुराण , शास्त्र से ।

जीवन सफल है जन्म मात्र से।

महादेव की डमरू से गुंजित।

योद्धाओ के रक्त से संचित।

हर प्राणी स्नेह पात्र है।

आर्यो की भूमि है ये।

विश्व पटल पे अटल व्याप्त है।

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