डॉ. बबिता सिंह, हाजीपुर

 1. शौर्य पुराण

भारत भू का शौर्य पुराण,
अतुलित है तेरा बलिदान
विश्व की शान्ति दूत धरा है
पर अरि जब देता ललकार,
कभी ना मानी इसने हार
जियो -जियो भारत के लाल!

गंगा यमुना हिंद का सागर,
तेरे पद-रज को लेकर ही
पुण्य धरा को सिंचित करते
वन पर्वत घाटी का ज़र्रा,
तेरी साँसों से ही सहमते
जियो-जियो भू के सरताज!

अरि-दल में जिससे भय व्यापै,
अपनी हड्डी की मशाल से
नैनों में हालाहल भरके
करते जुल्मी का संहार
कौन लिखे इतिहास तुम्हारा?
जियो-जियो ऐ पुण्य प्रकाश!

अंबर पर घन जब छाएगा,
तब-तब लहू बने चिंगारी
जन्म- मरण का मोह छोड़कर,
तुम हो जाते हो कुर्बान
धरती माँ की आँख के तारे,
जियो जियो भारत के भाल!

धन साम्राज्य नहीं हैं माँगते,
पर शत्रु जो आँख दिखाता
तुरंत उतारते मौत के घाट
निशक्त और निराश नहीं हैं
करते हैं तम. का परिहार
जियो-जियो भारत के ढाल!

अजातशत्रु बन देश हमारा,
अहिंसा को अपनाता है
कोटि-कोटि आदर्श को लेकर,
संस्कृति वरण यह करता है,
संस्कृत पुण्य धरा का नायक
जियो-जियो ऐ वीर जवान!

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