संघर्ष करो रे प्राणी!,जग में
इस से अद्भुत नाता है
संघर्ष बिना तो कोई भी
सफल कहां हो पाता है
सूना जीवन है बिन इसके
इस में खुशियाँ भर ले रे
लिए निराशा क्यों बैठा है
हिम्मत से कुछ कर ले रे
जो भी चलता, आगे बढ़ता
मंज़िल को पा जाता है
जीव जंतुओं से कुछ सीखो
मुश्किल जीना जीते हैं
अपनी भूख मिटाने हेतू
क्या क्या वे सह जाते हैं
कैसे रहते किस्मत मारे
कहा नहीं कुछ जाता है
पंछी देखो नील गगन पर
जोखिम सहज उठाते हैं
दाना चुगने की तलाश में
मीलों तक उड़ जाते हैं
बाज शिकारी पीछे भागे
अपना जोर लगाता है
चींटी,हाथी, शेर, बाघ भी
श्रम के बल पर जीते हैं
खुद को जोखिम में धकेल कर
आगे कदम बढ़ाते हैं
कितना मुश्किल जीना फिर भी
कभी न फ़िक्र सताता है
क्षण भंगुर है जीवन जिनका
आलस नहीं दिखाते हैं
जीना है, मत आशा छोड़ो
सब को ही समझाते हैं
मरने का डर जिसे नहीं है
वह कुछ कर दिखलाता है
मकड़ी कैसे जाला बुनती
कितना श्रम वह करती है
न जाने कब टूट जाएगा
कभी न चिन्ता करती है
संघर्ष भरा जीवन इसका
सच्ची राह दिखाता है
पौधों को भी देखो अक्सर
कैसे कुचले जाते हैं
चुपके से सह जाते सब कुछ
बोल नहीं कुछ पाते हैं
फिर भी आशा लिए हुए हैं
जीना उनको भाता है
संघर्ष करो, खुशहाल रहो
है गूढ़ मंत्र कहलाता
जीवन है अनमोल प्यारे
मुश्किल से है मिल पाता
संघर्ष बने जब साथी अपना
तब जीवन मुस्काता है
संघर्ष बिना तो कोई भी
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